Posts

Showing posts from September, 2025

कब और कैसे करता है गुरुपुष्य योग हर समस्या को दूर

Image
  कब और कैसे करता है गुरुपुष्य योग हर समस्या को दूर    जिस प्रकार शेर समस्त जानवरों का राजा होता है, ठीक उसी प्रकार गुरु पुष्य योग भी सभी योगों में प्रधान माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि इस शुभ योग में किए गए कार्य सफल होते हैं। इसलिए लोग गुरु पुष्य योग में अपने नए कार्य का श्रीगणेश करना शुभ मानते हैं। वे इस अवसर पर अपना नए व्यापार का आरंभ, नई प्रॉपर्टी अथवा नया वाहन आदि ख़रीदते हैं। वैसे तो चंद्रमा का राशि के चौथे, आठवें एवं 12वें भाव में उपस्थित होना अशुभ माना जाता है। परंतु यह पुष्य नक्षत्र की ही अनुकंपा है जो अशुभ घड़ी को भी शुभ घड़ी में परिवर्तित कर देती है। इसी कारण 27 नक्षत्रों में इसे शुभ नक्षत्र माना गया है। शास्त्रों के अनुसार यह माना गया है कि इसी नक्षत्र में धन व वैभव की देवी लक्ष्मी जी का जन्म हुआ था। जब पुष्य नक्षत्र गुरुवार एवं रविवार के दिन पड़ता है तो क्रमशः इसे गुरु पुष्यामृत योग और रवि पुष्यामृत योग कहते हैं। ये दोनों योग धनतेरस, चैत्र प्रतिपदा के समान ही शुभ हैं। ग्रहों की विपरीत दशा से बावजूद भी यह योग बेहद शक्तिशाली है। इसके प्रभाव में आकर सभी...

विशिष्ट ज्योतिषाचार्य Dr sunil barmola जी के बारें में -

Image
  विशिष्ट ज्योतिषाचार्य    Dr sunil barmola  जी के बारें में - विश्व के जाने-माने ज्योतिष गुरु, आध्यात्मिक गुरु, धर्म और नीत को जानने वाले ज्योतिषाचार्य गुरुदेव Dr sunil barmola   जी की जीवन परिवर्तन यात्रा 14 साल की उम्र में ही शुरू हो गई थी। जीवन के शुरुआती दिनों में ही इनके जीवन में एक अचानक मोड आया और वहाँ से इनके जीवन की दिशा पूरी तरह बदल गयी l इस घटना ने न केवल इनके जीवन का उद्धेश्य बदला बल्कि जीवन में अपेक्षित लोगों की मदद के लिए इंहोने बीड़ा भी उठा लिया ।  गुरु देव का जन्म उत्तराखंड राज्य के चमोली जिले में एक श्रेष्ठ ब्राह्मण परिवार में होने के कारण इन्हें जन्म से ही वेदों और ग्रन्थों से बहुत गहरा लगाव रहा l जो कि इन्होंने  उत्तराखंड राज्य में स्थित ऋषि- मुनियों की नगरी ऋषिकेश गुरुकुल में  रह कर गुरुकुल के कठिन नियमों का पालन कर कक्षा पाँच से लेकर 12वीं तक रह कर सम्पूर्ण वेदाङ्ग का अध्ययन कर ज्योतिष विद्या में पारंगत हो कर समाज सेवा में बढ़ गये l  साथ ही साथ गुरुदेव सुनील जी ने अपनी पढ़ाई -लिखाई जारी रख कर विश्व भर में ज्योतिष विद्या के...

भारतीय ज्योतिष में कर्म के साथ-साथ भाग्य को भी एक सर्वश्रेष्ठ स्थान दिया गया है

Image
  भारतीय ज्योतिष में कर्म के साथ-साथ भाग्य को भी एक सर्वश्रेष्ठ स्थान दिया गया है। क्योंकि बिना भाग्य का मानव जीवन अधूरा जैसा दिखाई देता है। व्यक्ति कर्म करे पर उसका पूर्ण फल न मिले यह भाग्य का साथ न देना भी माना जाता है। मानव जीवन में हर व्यक्ति की इच्छा होती है कि वह हर प्रकार के भौतिक सुख सुविधाएँ प्राप्त करें। जब व्यक्ति की मनवांछित  भौतिक सुख सुविधाएं पूर्ण होने लगती है तो इसी स्थिति में ज्योतिषशास्त्र की भाषा में भाग्योदय कहते हैं।प्राचीन काल से ही सदैव जातक यानि व्यक्ति की अभिलाषाएं असीमित रही है। व्यक्ति अपने जीवन काल में वह सब कुछ प्राप्त कर लेना चाहता है जिसके लिए वह व्यक्ति योग्य ही न हो या जो उसकी क्षमता से बहुत ही दूर हो। अदाहरण दे कर बात करें तो जैसे  एक भिखारी अपनी तुलना किसी नगर सेठ से करना चाहे तो ऐसा कभी नहीं होगा| न ही ऐसी किसी स्थिति को भाग्योदय से जोड़ना ही चाहिए। जन्मकुंडली व्यक्ति के जीवन का पूर्ण सत्य खाका माना जाता है। जन्मकुंडली में ग्रहों की स्थिति अच्छी होना परम आवश्यक है भाग्य से संबंधित ग्रहों का शुभ होना तथा उनकी दशा-महादशा का ...